वादों की दलीलों के बस दायरे में न जा ,कुछ अंदाज़ ए गुफ्तगू का भी तह ए दिल से एहतराम कर । कहने को मुक़म्मल थे दोनों जहान मेरे , पर तू नहीं था ग़ालिब कहीं तो तेरे ख़्यालात नहीं थे । जब सारा शहर था जश्न ए रोशनी में गुम
वादों की दलीलों के बस दायरे में न जा ,कुछ अंदाज़ ए गुफ्तगू का भी तह ए दिल से एहतराम कर । कहने को मुक़म्मल थे दोनों जहान मेरे , पर तू नहीं था ग़ालिब कहीं तो तेरे ख़्यालात नहीं थे । जब सारा शहर था जश्न ए रोशनी में गुम महज़ दिलों का फितूर है और कुछ भी नहीं , लोग ख़्वामख़्वाह इश्क़ में फनाह हुए जाते हैं ।
वादों की दलीलों के बस दायरे में न जा ,कुछ अंदाज़ ए गुफ्तगू का भी तह ए दिल से एहतराम कर । कहने को मुक़म्मल थे दोनों जहान मेरे , पर तू नहीं था ग़ालिब कहीं तो तेरे ख़्यालात नहीं थे । जब सारा शहर था जश्न ए रोशनी में गुम
वादों की दलीलों के बस दायरे में न जा ,कुछ अंदाज़ ए गुफ्तगू का भी तह ए दिल से एहतराम कर । कहने को मुक़म्मल थे दोनों जहान मेरे , पर तू नहीं था ग़ालिब कहीं तो तेरे ख़्यालात नहीं थे । जब सारा शहर था जश्न ए रोशनी में गुम महज़ दिलों का फितूर है और कुछ भी नहीं , लोग ख़्वामख़्वाह इश्क़ में फनाह हुए जाते हैं ।
वादों की दलीलों के बस दायरे में न जा ,कुछ अंदाज़ ए गुफ्तगू का भी तह ए दिल से एहतराम कर । कहने को मुक़म्मल थे दोनों जहान मेरे , पर तू नहीं था ग़ालिब कहीं तो तेरे ख़्यालात नहीं थे । जब सारा शहर था जश्न ए रोशनी में गुम
वादों की दलीलों के बस दायरे में न जा ,कुछ अंदाज़ ए गुफ्तगू का भी तह ए दिल से एहतराम कर । कहने को मुक़म्मल थे दोनों जहान मेरे , पर तू नहीं था ग़ालिब कहीं तो तेरे ख़्यालात नहीं थे । जब सारा शहर था जश्न ए रोशनी में गुम महज़ दिलों का फितूर है और कुछ भी नहीं , लोग ख़्वामख़्वाह इश्क़ में फनाह हुए जाते हैं ।
वादों की दलीलों के बस दायरे में न जा ,कुछ अंदाज़ ए गुफ्तगू का भी तह ए दिल से एहतराम कर । कहने को मुक़म्मल थे दोनों जहान मेरे , पर तू नहीं था ग़ालिब कहीं तो तेरे ख़्यालात नहीं थे । जब सारा शहर था जश्न ए रोशनी में गुम
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वादों की दलीलों के बस दायरे में न जा ,कुछ अंदाज़ ए गुफ्तगू का भी तह ए दिल से एहतराम कर । कहने को मुक़म्मल थे दोनों जहान मेरे , पर तू नहीं था ग़ालिब कहीं तो तेरे ख़्यालात नहीं थे । जब सारा शहर था जश्न ए रोशनी में गुम महज़ दिलों का फितूर है और कुछ भी नहीं , लोग ख़्वामख़्वाह इश्क़ में फनाह हुए जाते हैं ।
तबीयत ए नासाज़ रहता है दिल sad poetry in english urdu,तबीयत ए नासाज़ रहता है दिल ,गोया हर दौर ए उल्फ़त का मामला संगीन ही होता ।
तबीयत ए नासाज़ रहता है दिल sad poetry in english urdu,तबीयत ए नासाज़ रहता है दिल ,गोया हर दौर ए उल्फ़त का मामला संगीन ही होता ।
वादी ए गुल में मुस्कुराहटें नहीं sad poetry in english urdu,वादी ए गुल में मुस्कुराहटें नहीं ,शहर भर का पारा गिरकर तेरे कदमो में सिमटा हो जैसे ।
रिस रिस के गिर रही है चाँदनी चिलमन की ओट से sad poetry in english urdu ,रिस रिस के गिर रही है चाँदनी चिलमन की ओट से ,घायल है आज चाँद फिर नज़रों की चोंट से ।
रिस रिस के गिर रही है चाँदनी चिलमन की ओट से sad poetry in english urdu ,रिस रिस के गिर रही है चाँदनी चिलमन की ओट से ,घायल है आज चाँद फिर नज़रों की चोंट से ।